>> Wednesday, 8 December 2021
जनरल रावत गढ़वाल का गौरव थे। उनका परिवार कई पीढ़ियों से सेना की सेवा में था। जब वे सेनाध्यक्ष बने थे तब भी हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो गया था और तब भी जब वे देश के पहले सीडीएस बने थे। आज उत्तराखण्ड का वह जाँबाज सपूत हम सबको छोड़कर चला गया।
"पहली गोली हमारी नहीं होगी पर उसके बाद हम गोलियों की गिनती भी नहीं करेंगे", यह उद्घोष करने वाले जनरल रावत ने दिखाया कि एक श्रेष्ठ सेनापति कैसा होता है। उनके कार्यकाल में सेना का आधुनिकीकरण और क्षमताओं में अभूतपूर्व बढ़ौतरी हुयी।उत्तराखण्ड की देवभूमि ने अनेक वीरों को जन्मा है जिन्होंने अद्भुत पराक्रम का प्रदर्शन किया और देश पर बलिदान हुये। कोई सैनिक किसी युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो तो दुःख होता है पर कुछ तसल्ली भी रहती है कि महान कार्य में बलिदान हुआ पर इस तरह अकारण-असमय मृत्यु एक सैनिक के योग्य नहीं थी।
एक बेहतरीन जनरल और देश के पहले सीडीएस का इस तरह असमय चले जाना अत्यन्त दुःखद है। ☹️
ईश्वर उन्हें अपने चरणों में स्थान दे। 🙏
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